Pitru paksha 2022: पितृ श्राद्ध पर तिथियों की भ्रम की स्थितियां




भारतीय अलंकार 24

अकोला: स्थानीय खोलेश्वर स्थित श्री भोलेश्वर मंदिर में अकोला पौरोहित्य संघ की सभा महालय पितृ श्राद्ध पार्वण श्राद्ध तिथियों के भ्रम को लेकर के संपन्न हुई. श्राद्ध प्रकाश ग्रंथ गीता प्रेस तथा निर्णय सिंधु एवं सरल ज्योतिष ज्ञान पुणे इत्यादि ग्रंथों का प्रयोग समस्याओं के निराकरण के लिए किया गया.



श्राद्ध में प्रशस्त समय शास्त्र आज्ञा अनुसार अलग-अलग समय बताया गया है पितृ श्राद्ध अपरान्ह अर्थात  12:10 से 03:10 बजे का समय श्राद्ध में तिथि निर्णय में उपयुक्त रहता है इसी आधार पर पितृ तिथि की गणना करना  चाहिए. उदय तिथि में देवता तथा सूर्यास्त तिथि मैं पितरों की पूजन करना चाहिए.



श्राद्ध में पिता पक्ष की तीन पीढ़ियां तथा नाना पक्ष की तीन पीढ़ियां तथा दोनों ओर के एक एक देवता तथा इसके अलावा विकर नामक पिंड के लिए एक इस तरह से कुल 9 ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए, शक्ति न होने पर तीन ब्राह्मणों को भी भोजन कराया जा सकता. बड़े आंवले के जितने पिंड बनाकर पूजन करना चाहिए. तथा इसके अलावा पितृ श्राद्ध यदि आप तीसरे वर्ष कर रहे हैं मृत्यु तिथि पर तो इसके पूर्व दूसरे वर्ष में मृत्यु तिथि पर एक पिंड वाला श्राद्ध करना जरूरी है. गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु तिथि के 1 वर्ष पूर्ण हो जाने पर पितृ श्राद्ध (इसे पारवन भी कहते हैं) पितृपक्ष में कर लेना चाहिए.



निर्धनता होने पर दोनों हाथ आकाश की दिशा में उठाकर पीत्रों और देवताओं से प्रार्थना कर लेने मात्र से श्राद्ध कर्म की पूर्ति हो जाती है . निर्धनता के अवस्था में गाय को चारा डालने मात्र से श्राद्ध कर्म की पूर्ति हो जाती है. पितृ श्राद्ध में मिट्टी तथा लोहे के पात्र का प्रयोग ना करें, केला फल नहीं चढ़ाना चाहिए, तर्पण करना चाहिए.



सभा में सर्वश्री पंडित रजनीकांत जाड़ा, प्रमोद तिवारी, रतन तिवारी, श्याम अवस्थी, सुमित तिवारी, हेमंत शर्मा, राजू शर्मा, आलोक शर्मा, गौरव व्यास एवं पंडित रवि कुमार शर्मा उपस्थित थे.

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