Inauguration of Dharma sammelan: आनन्द मार्ग द्वारा आयोजित धर्म महासम्मेलन का अकोला में शुभारम्भ

धर्म महा संमेलन की जानकारी देते हुये  आनंद मार्ग के आचार्य गण





अधि. नीलिमा शिंगणे जगड 

अकोला, दि.15 : आनन्द मार्ग द्वारा आयोजित धर्म महासम्मेलन का शुभारम्भ आज सुबह 04:30 बजे महेश भवन मे गुरु ध्यान और साधना से हुआ। लगभग 150 सन्न्यासियों और आनन्द मार्गियों ने एक साथ मिल कर साधना किया। एक अवधूत ने समझाया की, सुबह उठते ही सब से पहले गुरु ध्यान और साधना करने से दिन भर मन प्रफुल्लित रहता है। 


तत्पश्चात अकोला की स्वयं सिद्ध ढोल परक महासंघ की 21 बालिकाओं और महिलाओंने महाराष्ट्र की पारंपरिक वेशभूषा में ढोल-पताका के साथ दिन में लगभग 10-30 बजे मुख्य अतिथि डॉ. रणजीत पाटिल का स्वागत किया। डॉ. रंजीत ने मार्ग के सम्पूर्ण विश्व में किये जा रहे धर्म प्रचार और राहत कार्य की सराहना की। 



दूसरे सत्र में आचार्य सुस्मितानन्द अवधूत का सारगर्भित प्रवचन हुआ। आचार्य जी धर्म का व्याकरण सम्मत अर्थ समझाते हुए कहा कि "धृ" धातु में "मन" प्रत्यय लगाने से धर्म शब्द निष्पन्न होता है, जिसका अर्थ है "स्वभाव"। मनुष्य का जन्मजात स्वभाव है सुख शान्ति की तलाश करना। मनुष्य अनन्त सुख चाहता है। 



आचार्यजी ने बतलाया की, केवल परमात्मा ही अनन्त सत्ता है इसलिए परमात्मा की तलाश करना ही सच्चा धर्म है। चूंकी परमात्मा आन्तरिक वस्तु है इसलिए उन्हें पाने के लिए धर्म साधना करनी होगी। 



आचार्य जी ने बतलाया की, धर्म का पालन करने वाले व्यक्ति के स्वभाव में दस गुणा स्वतः ही परिलक्षित हो जाएंगे। धृति, क्षमा, दमन, आस्तेयम, शौच, इन्द्रिय निग्रह, धी, विदया, सत्य और अक्रोध। धृति मतलब धैर्य, दमन मतलब आत्म संयम, धी मतलब सदबुद्धि आचार्य जी ने अधिकारपूर्वक कहा कि धर्म पर चलने वाला व्यक्ति कभी किसी के अहित की बात सोच ही नहीं सकता। कीर्तन और धर्म साधना आनन्द मार्गियों की जीवन चर्या का अभिन्न हिस्सा है । आचार्य जी के प्रवचन के बाद सभी उपस्थित लोगों ने कीर्तन और धर्म साधना किया। 



दोपहर का समय नवागन्तुकों को योगासन और साधना सिखलाने के लिए सुरक्षित रखा गया जिस में नगर के युवक और युवतियों ने आचार्यों से साधना सीखा। सन्ध्या बेला में मार्ग गुरुदेव श्री श्री आनन्दमूर्ति जी द्वारा प्रदत्त भक्ति गान पर आधारित शिव गीतिका और कृष्ण लीला पर नाट्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। तत्पश्चात सामुहिक भजन, कीर्तन और साधना आदी कार्यक्रम हुए। 



आज के समारोह के अन्त में आचार्य ज्योतिप्रकाशानन्द जी "चरम लक्ष्य और आदर्श मानव जीवन" विषय पर प्रवचन से हुआ। आचार्यने धर्म के दस लक्षण बताएं।




दरम्यान, आज दोपहर आचार्य ज्योति प्रकाशानन्द अवधूत, आचार्य अविवसानंद, आनंद तपोधिरा, ज्योति दीदी, आनंद मोहतिता,आचार्य बालकृष्ण गोतरकर इनकी प्रमुख उपस्थिति में पत्रकार परिषद आयोजित की गई थी। शासकीय विश्रामगृह में हुई इस पत्रकार परिषद में आचार्य ज्योति प्रकाशानंद अवधूत इन्होंने धर्म महासमेलन की जानकारी दी। उसी प्रकार आनंद मार्ग द्वारा चलाने जाने वाले विभिन्न उपक्रम के बारे में जानकारी दी।

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