जिद और लगनसे शराफतने बदली जिंदगी

जिद और लगनसे शराफतने बदली जिंदगी!
बिना किसी कोचिंग के गेट में प्राप्त किया 145  स्थान

भारतीय अलंकार
अकोला: बहुत कम ग्रेज्युएट इंजीनियर ही  गेट(GATE exam) की तैयारी करते हैं। गेट में उचित स्थान प्राप्त करने के लिए समय, बुद्धिमता और आर्थिक स्तर भी मायने रखता है। लाखों रूपए कोचिंग में खर्च हो जाते हैं,लेकिन बहुत कम विद्यार्थियों को सफलता मिलती है। लेकिन आज हम ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने बिना किसी कोचिंग के गेट में टॉप किया,तथा आल इंडिया रैंक में 145 व स्थान प्रप्त कर साबित करदिया के मेहनत और लगन से कठीन से कठीन लक्ष्य भी प्राप्त किया जसक्ता है। यह विद्यार्थी है अकोला के अकोट फैल परिसर निवासी शराफत खान जिसने बगैर किसी कोचिंग के गेट टॉपर बनने का सपना पूरा किया है। 
ऐसे हासिल किया मुकाम
शराफत ने कभी कोचिंग नहीं की क्योंकि अपनी पढ़ाई के तरीके पर बहुत भरोसा था। 10 क्लास तक मिल्लत उर्दू हाईस्कूल से पढ़ने के उपरांत, यवतमाल गवर्नमेंट कॉलेज से पॉलिटेक्निक कर जेएसपीएम इंपीरियल कॉलेज   पुणा से बीई पूरा करने के बाद पहली बार गेट की परीक्षा दी थी लेकिन इसमें विफल होने के बाद उसने ठान लिया था किसी भी हालात में गेट क्रैक करेंगें। इसी के चलते पढ़ाई के लिए उसने पहले सभी जरुरी किताबें खरीदी, इंटरनेट से वेबसाइट, यूट्यूब और ब्लॉगर को ही कोचिंग का हिस्सा बना लिया। जिसके चलते उसे गेट परीक्षा  में 145व रैंक हासिल हुआ है। घर की परिस्थितियों को मात देते हुए उसने सफलता प्राप्त की है,शराफत की सफलता यकीनन युवाओ के लिए प्रेरणास्रोत साबित होगी
इसके पिताजी मानसिक विकलांग है घर की परिस्थितियों को मात देकर इसने इतनी बड़ी सफलता हासिल की। आज गेट के लिए कोचिंग अनिवार्य समझी जाती है,लाखो रुपय खर्च किए जाते है।लेकिन शरफतने बिना कोचिंग के सफलता प्रप्त की।

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